परदा हटा वो बुंदो का
बारीश जो थंम गयी
गीली मिट्टी की खुशबू
यादो मे ले गयी

वो नजर झुकी-झुकी
चेहरे पर हंसी
जैसे आसमान मे बादल
टहल रहा था कोई

छाता लिए हातो मे
चलना उसका संभलकर
महक रही थी सादगी
उस हसीन चेहरे पर

लाख कोशिशे लेकीन
नजरे मीली नही
ख्वाब अधूरा देकर
बारीश चली गयी

आज फिर वही बारीश
और महक रही है मिट्टी
काश वो चेहरा
फिर नजर आ जाए.

©️ShashikantDudhgaonkar