कभी अपने आपसे
मिलकर देखो
बडी फुरसत से
पास बिठाकर
थोडा अपने आप को
सुनकर तो देखो
मील जाएंगे गीत
खोये हुए अल्फाज
मासुम सवाल
अधुरी ख्वाईशे
वह रास्ते धुंधले
आएंगे याद
लडखडाते कदम
जहां पर चले थे
मिल जाएगा बचपन
थोडा आवारापन
और कुछ ऐसे ही यादें
जो आती है याद
पता नही क्यों
पर याद आती है
मील जाएंगी छाव
पुराने पेड की
घर के सामने जो
फैला हुआं था
और बहोत सारा सुकून
वही छुपा हुआ
उसी पेड के नीचे
उसी छांव मे
कभी अपने आप से
वक्त निकालकर
मिलकर तो देखो
©️ShashikantDudhgaonkar