
शादाब पल
एक दिन पुछा हमने
क्यो ईतनी मायूस
हो तूम जिंदगी
पुछां उसने मुझसे ही
मुझे फुरसतसे
देखा भी है कभी
बस खोये रहते हो जज्बातो मे कई
कभी यादे रंजीदा
कभी फिक्र लहसील
कभी किया है महसुस
वह शादाब पल
पलता है आज
और
कल के बीच
©️ShashikantDudhgaonkar
रंजीदा – sad
लहसील – useless/ fruitless
शादाब – fresh