
दिवानगी
बदल गया है सबकुछ यहा
या एहसास बदलेसे है मेरे
देख रहा हू जहां कही
बरस रहे आसमान से शोले
प्यास भी लगती बहोत यहा
पर पाणी हलक मे चूभ रहा है
सांसे फुल रही है मेरी
वो कहते झुठ हाफ रहे हो
सन्नाटा फैला चारों ओर
जश्न कोई मना रहे है
जलती होली हर कसबे मे
या जला रहा चिता कोई
सोच रहा हू दिवाने है सब
या मैं ही थोडा पागल हू
पागलपन की भी हद होती है
किसकी ये अब ढूंढ रहा हू
©️ShashikantDudhgaonkar
Insaan jinda hai toh sab kuch jinda hai. Nhi toh jinde log bhi toh murdo ki tarah ji rhe hai.
LikeLiked by 1 person
True
LikeLiked by 1 person
Likhte rahiye.
LikeLiked by 1 person
🙏
LikeLiked by 1 person