परछाईं

कोई जिद ना करे

हमे रोशन करने की

आदत होने लगी है अब

हमे अंधेरो की

देखे उजियालो मे

तो क्या देखे हम

बेबसी के साए

बेहूदा जश्न का आलम

है जश्न थोडासा

बहोत है रंज

परछाई दोनोकी

यहां हमसफर

राहे खोयी सी

नही मंझीले का जिक्र

परछाई माजी की

छाई मुकद्दर पर

©️ShashikantDudhgaonkar