मुद्दतो बाद मीली है

फुरसत अभी अभी

के दिवारे भी घर की

लगने लगी अजनबी

सांसे और धडकनो का

एहसास होने लगा

बेखबर जो था मै

उनसे भी कभी

बेवजह मुस्कराते चेहरे

मंडराते है आसपास

देखा देखा सा लगता है

उनको पहले कभी

सोचा आईने से

पुछते है जरा

के सुरत है वही

या हो गयी अजनबी

©️ShashikantDudhgaonkar