This is a poem in my native language “Hindi”.
वो आधी चाय की प्याली कॅंटीन का एक कोना एक पाव भाजी की प्लेट और यार अनेक. वो अठण्णी की सिगरेट एक माचीस की तीली आधी रात की प्यास और हकदार अनेक. वो सुख-दुःख मे ढुढना बार जाने का बहाना एक बोतल शराब की और गिलास अनेक. वो ईतवार को बाहर रात गलीयों मे ढुंडना बन-आम्लेट की गाडी और पाच रूपये की प्लेट. बित गये दिन अब बीत गयी बाते याद आते है अब भी वो किस्से पुराने. @ shashikantdudhgaonkar