बादल बनकर आसमान मे
एक दिन मिल जाना है
एक रूकी हुई....
सांस के सहारे
एहसास के परे....
चले जाना है
जिदंगी बीती कितनी
और कितनी.....
बीताई मैने
जिंदगी उलझी कितनी
और कितनी...
उलझाई मैने
ना समझ सका हूं
ना समझना.....
चाहता हु मै
मौत से बस एक
दरख्वास्त है मेरी
तेरे आने की तारीख का
मुझे पता ना हो
@ShashikantDudhgaonkar.